दीक्षोत्सव के तीसरे दिन एकल गायन एवं नृत्य प्रतियोगिताओं का आयोजन

  • भाषा विश्वविद्यालय में प्रतिभागियों ने दिखाया कला कौशल


लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में चल रहे दीक्षोत्सव 2024 का आज तीसरा दिन था जिसमें विद्यार्थियों ने लोक कलाओं में अपना कौशल प्रस्तुत किया।
तीसरे दिन एकल गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें भजन और ग़ज़ल विधाओं में छात्र-छात्राओं ने अपनी गायन प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता का संयोजन डॉ. ततहीर फातिमा और समन्वय डॉ. मजहर खालिक ने किया। 

प्रतियोगिता में ग़ज़ल और भजन के माध्यम से प्रतिभागियों ने अपनी भावनाओं को संगीतमय तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। ग़ज़ल श्रेणी में खुश्बू तिवारी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, मोहम्मद मुजम्मिल को दूसरा स्थान और शाहीन खानम को तीसरा स्थान मिला। वहीं भजन श्रेणी में प्रियांशु दीक्षित ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और आकांक्षा सिंह चौहान ने दूसरा स्थान हासिल किया।
डॉ. ताहिरा फातिमा ने सभी विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता छात्रों के आत्मविश्वास और उनकी सांस्कृतिक प्रतिभा को निखारने का एक माध्यम है। डॉ मजहर खालिक ने भी इस आयोजन की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों में सांस्कृतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करते हैं। दीक्षोत्सव के अंतर्गत इस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थियों को अपनी कला को प्रदर्शित करने और नए अनुभवों से जुड़ने का अवसर मिला। वहीं निर्णायक मंडल में लेफ़्टिनेंट डॉ बुशरा अलवेरा एवं डॉ राहुल कुमार मिश्रा रहे जिनके द्वारा प्रतिभागियों की हौसलाफ़ज़ाई की गई।प्रतियोगिता के आयोजन में डॉ0 रज़ा अब्बास हैदरी, डॉ0 अजय यादव, डॉ0 कीर्तिमा सचान, डॉ0 मो० ज़ाहिद की अहम भूमिका रही।

दीक्षोत्सव की आज की शृंखला में शास्त्रीय और लोक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी नृत्य प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम का संयोजन प्रो. सैयद हैदर अली ने किया और समन्वयक के रूप में प्रो. एहतेशाम अहमद ने भूमिका निभाई। 

प्रतियोगिता में शास्त्रीय और लोक नृत्य थीम पर आधारित प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। विद्यार्थियों ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े विभिन्न लोक और शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किए, जिनमें कथक, भरतनाट्यम, गरबा, भांगड़ा, और अन्य पारंपरिक नृत्यों की झलक दिखाई दी। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो सैयद हैदर अली ने कहा कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों को भारतीय शास्त्रीय और लोक कलाओं के प्रति प्रेम और समझ विकसित करने का अवसर मिला। प्रो एहतेशाम अहमद ने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों में आत्म अभिव्यक्ति और कला की पहचान को प्रोत्साहित करते हैं।
प्रतियोगिता अद्भुत प्रस्तुतियों और असाधारण निर्णायकों प्रो. तनवीर खातिजा, डॉ पूनम चौधरी, डॉ नलिनी मिश्रा और डॉ विभा सिंह के साथ उल्लास और खुशी से भरपूर रही।

दीक्षोत्सव के अंतर्गत आयोजित इस नृत्य प्रतियोगिता ने विद्यार्थियों में सांस्कृतिक जागरूकता और गर्व की भावना को प्रोत्साहित किया, साथ ही उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को सफलतापूर्वक संचालित करने में डॉ मनीष कुमार और अफरीन फातिमा के साथ छात्र स्वयंसेवकों मोहम्मद कैफ, मोहम्मद शारिक और मोहम्मद अदीब ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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