वैश्विक पटल पर बढ़ रही आयुर्वेद की महत्ता, 9वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन
लखनऊ। अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ सम्मेलन उत्तर प्रदेश द्वारा श्री धन्वन्तरि जयन्ती (राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस) के अवसर पर आज राजाजीपुरम स्थित सरोज आरोग्यम केंद्र, लखनऊ में भगवान धन्वन्तरि जी का पूजन किया गया। इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ शिव शंकर त्रिपाठी ‘राजवैद्य’ डॉ केके ठकराल, पूर्व निदेशक आयुर्वेद, डॉ अमित शुक्ला, डॉ नीरज बाजपेई, डॉ केके शुक्ला डॉ एसके गुप्ता, डॉ अमिता, डॉ दीपांजली, डॉ सरोज त्रिपाठी सहित 50 से अधिक आयुर्वेद चिकित्सक एवं लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राजवैद्य डॉ शिव शंकर त्रिपाठी ने कहा कि यह 9वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस है, जो भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में पूरा विश्व मनाने को तत्पर है। नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए इस बार आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने आयुर्वेद दिवस का थीम ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार’ रखा है। आयुर्वेद की महत्ता कोरोना काल के समय से वैश्विक पटल पर और अधिक बढ़ी है। अब उत्तरोत्तर विश्व के सैकड़ो देश आयुर्वेद द्वारा स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर दे रहे हैं। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि समग्र स्वास्थ्य आयुर्वेद के बिना संभव नहीं है। हम आयुर्वेद जीवन शैली अपनाकर मानसिक रोग, वृद्धावस्था के रोग तथा गैर संचारी रोग जैसे मधुमेह, अर्थराइटिस तथा हृदय रोग जैसे अनेक रोगों से बच सकते हैं। वहीं कुछ आयुर्वेदिक औषधियांे तथा किचन में प्रयोग किए जाने वाले मसालों का समुचित प्रयोग कर हम संचारी तथा गैर संचारी रोगों का प्रबंधन भी अच्छे ढंग से कर सकते हैं। उनमें अश्वगंधा, तुलसी, मुलेठी, गिलोय, आंवला, हल्दी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ, सौंफ, मेथी, जीरा, अजवाइन, लौंग, धनिया, हींग एवं लहसुन आदि प्रमुख हैं।
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ सम्मेलन उत्तर प्रदेश द्वारा पूरे प्रदेश में निःशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिनकी शुरुआत आगामी माह में लखनऊ से की जाएगी। इस अवसर पर पूर्व निदेशक डॉ केके ठकराल ने बताया कि श्री धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक तथा आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के जनक के रूप में जाने जाते हैं।
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